नंबर वन हरियाणा,
हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने तो कुछ ऐसी ही परिभाषा दी है, 5 साल के शासन के
बाद हरियाणा को। ये बात अलग है कि हरियाणा के लोगों को ही शायद ये पता नहीं है कि उनका
हरियाणा हुडडा के कार्यकाल में देश में नंबर वन राज्य हो गया है। लेकिन हुड्डा
साहब लोगों को बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हरियाणा में चुनाव की आहट के
साथ ही अख़बार और टीवी पर हुड्डा सरकार के विज्ञापन को कम से कम यही बयां कर रहे
हैं। जाहिर है इस पर करोड़ों रूपए पानी की तरह बहाया भी जा रहा है, लेकिन अगला
चुनाव जीतना है तो हुड्डा साहब तो कुछ तो करना ही पड़ेगा। लेकिन हुड्डा साहब की ये
दलील शायद हरियाणा वासियों को रास नहीं आ रही है।
हरियाणा के कैथल में नैशनल हाईवे प्रॉजेक्ट की आधारशिला रखने पहुंचे प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी के साथ मंच पर मौजूद हरियाणा के मुख्यमंत्री हुड्डा की जब बोलने की
बारी आई तो वहां मौजूद जनता ने हुड्डा की जमकर हूटिंग की। लोगों को हुड्डा को
सुनना तक गवारा नहीं था और वे हुड्डा को हाथ हिलाकर बैठ जाने के ईशारे तक करने
लगे। ये हुड्डा साहब के हरियाणा के ही लोग थे, जिस हरियाणा को हुड्डा साहब सरकारी
विज्ञापनों के जरिए नंबर वन बनाने के दावे करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं,
लेकिन हरियाणा को नंबर वन(जैसा की हुडडा दावा कर रहे हैं) बनाने वाले मुख्यमंत्री
भूपेन्द्र हुड्डा तक को सुनने के लिए हरियाणा के ही लोग तैयार नहीं है।
सरेआम हूटिंग हो और
मुख्यमंत्री हुड्डा को गुस्सा न आए, ऐसा कैसे हो सकता था। हुड्डा साहब को भी ये
नागवार गुजरा और हुडडा साहब ने तो ये तक ऐलान कर दिया कि वे भविष्य में पीएम मोदी
के साथ किसी रैली में नहीं जाएंगे। हुड्डा ने मोदी पर ये तक आरोप लगा डाला कि प्रधानमंत्री
ने कार्यक्रम का राजनीतिकरण कर दिया।
कैथल में मोदी
भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर बोले और भारत को भ्रष्टाचार की बीमारी से मुक्त कराने का
वादा जनता से किया, साथ ही मोदी ने हरियाणा के समग्र विकास का वादा भी हरियाणा की
जनता से किया। ऐसे में हुड्डा को इसमें राजनीतिकरण कहां से नजर आया, ये समझ से
बाहर है, खैर सरेआम हूटिंग के बाद हुड्डा को कुछ तो बोलना ही था। वैसे भी हरियाणा
में चुनावी सीजन अपने पूरे परवान पर है, ऐसे में हुड्डा क्यों न मोदी के खिलाफ कुछ
न बोलते, यही सही।
बहरहाल कार्यक्रम के
राजनीतिकरण का तो पता नहीं लेकिन आगामी चुनाव जीतने का मिशन लेकर चल रहे हुड्डा ने
जनता के पैसे का विज्ञापनीकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जनता की गाढ़ी कमाई
के करोड़ों रूपए सरकारी विज्ञापनों में उड़ा कर मुख्यमंत्री अपना व कांग्रेस सरकार
का महिमामंडन करने में जी जान से जुटे हुए हैं।
खैर जो भी हो, लेकिन
ये बात समझ में नहीं आती कि अगर सरकारें काम करती हैं, तो फिर ये सब जनता को बताने
के लिए उसे करोड़ों रूपए विज्ञापनों में खर्च करने की जरूरत क्यों पड़ती हैं ? अच्छा होता कि ये
करोड़ों रूपए भी विकास कार्यों में खर्च किया जाता।
deepakttiwari555@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें