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मंगलवार, 29 जुलाई 2014

हुड्डा पर हाईकमान मेहरबान !

हरियाणा विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है, ऐसे में कांग्रेस और हुड्डा दोनों चाहते हैं कि हरियणा में उनकी सरकार बने लेकिन हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेता चौधरी बिरेन्द्र सिंह, कुमारी शैलजा समेत ऐसे कांग्रेसियों की लंबी फेरहिस्त है, जो भी चाहते हैं कि सरकार तो कांग्रेस की ही बने लेकिन उन्हें लगता है कि अगर कांग्रेस ने ये चुनाव भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में लड़ा तो कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ेगी।
इसके पीछे इन कांग्रेसियों का ये तर्क है कि हुड्डा का कार्यकाल नाकामियों से भरा है और हुड्डा ने प्रदेश के विकास के लिए कुछ नहीं किया और हुड्डा सरकार का पूरा ध्यान क्षेत्र विशेष के विकास पर ही रहा। इसका खामियाजा कांग्रेस को 2014 के आम चुनाव में भी भुगतना पड़ा था, जब कांग्रेस को राज्य की 10 सीटों में से सिर्फ एक ही सीट मिली जबकि 2009 में कांग्रेस के पास 9 सीटें थी। हरियाणा में कांग्रेस का स्कोर में 10 में से 9 की बजाए सिर्फ एक रह गया। वो भी रोहतक ससंदीय सीट, जहां पर मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने जीत हासिल की।   
आम चुनाव के बाद आगामी विधानसभा चुनावों में जीत की संजीवनी ढ़ूंढ़ रही कांग्रेस के लिए हरियाणा राज्य इसलिए भी अहम है क्योंकि यहां पर कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस नहीं चाहती कि हरियाणा उसके हाथ से निकल जाए लेकिन हरियाणा कांग्रेस में जो कुछ हो रहा है, उसको देखते हुए तो लगता है कि हरियाणा कांग्रेस के हाथ से निकलना लगभग तय है। हुड्डा के विरोध में बिरेन्द्र सिंह और कुमारी शैलजा जैसे दिग्गज पहले ही विरोध का झंडा बुलंद करने में कोई कसर नहीं छोड रहे थे, ऐसे में अब हुड्डा के हालिया फैसलों ने कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
हुड्डा अब हरियाणा में स्टेट इन्फर्मेशन कमिशन के नए सदस्यों और राइट टु सर्विस कमिश्नरों की विवादास्पद नियुक्तियों को लेकर चौतरफा घिर गए हैं। हुड्डा पर इन नियुक्तियों में नियमों का ताक पर रखने का आरोप लगा है। हुड्डा सरकार में ही बिजली मंत्री अजय यादव ने उन पर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया है। यादव हुड्डा के लिए यह तक कह बैठे कि किसी को तो बिल्ली के गले में घंटी बांधनी ही थी, यह काम मैंने कर दिया। साथ ही प्रशासनिक सुधार विभाग के सचिव प्रदीप कासनी ने भी नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए इस पर दस्तखत करने से इंकार कर दिया। मामला यहीं थम जाता तो ठीक था लेकिन हरियाणा के मुख्य सचिव एससी चौधरी ने तो दस्तखत न करने पर आईएएस प्रदीप कासनी को धमकी भरा एसएमएस तक भेज दिया। मुख्य सचिव एसएमएस में लिखते हैं कि - 'गुड नाइट...प्लीज सेलिब्रिटी वाली हैसियत इंजॉय करो...लेकिन, अपनी मां का दूध पिया है तो मेरे सारे मेसेज प्रेस को दिखा देना।' ना नुकुर के बाद मुख्य सचिव ने एसएमएस के लिए माफी तो मांग ली, लेकिन इसने हुड्डा सरकार की जमकर किरकिरी हुई है।
मुख्यमंत्री हुड्डा विवादों में हैं, अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर हैं लेकिन बकौल हुड्डा उनकी सरकार के सारे फैसले सही हैं। हुड्डा कहते हैं कि उनकी सरकार ने हरियाणा के विकास के लिए इतना काम किया, जितना अब तक किसी सरकार ने नहीं किया। हुड्डा इसे साबित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, यकीन न आए तो हरियाणा के किसी भी समाचार चैनल और अख़बार, मैग्जीन पर एक निगाह डाल लिजिए, समझ जाएंगे कि हुड्डा कैसे सरकारी विज्ञापनों के जरिए हरियाणा को नंबर वन बना रहे हैं। करोड़ों रूपया सिर्फ इस बात पर खर्च किया जा रहा है कि हुड्डा का गुणगान किया जा सके, हरियाणा को विज्ञापनों में नंबर वन दिखाया जा सके लेकिन हुड्डा साहब को कौन समझाएं कि विज्ञापनों से वोट नहीं मिला करते।
एक बात और समझ नहीं आई, शायद हुड्डा जी ही समझा पाएंगे कि जब उनके मुताबिक उनकी सरकार ने हरियाणा में विकास की बयार बहाई है, हरियाणा को नंबर वन बनाया है, तो फिर ये सब हरियाणा की जनता को विज्ञापनों में करोड़ों रूपए खर्च कर ढ़िंढ़ोरा पीट पाटकर बताने की जरूरत क्यों पड़ रही है, बेहतर होता कि इस पैसे को भी हरियाणा के विकास पर ही खर्च करते।
हैरान करने वाली बात तो ये है कि हरियाणा में कांग्रेस नेताओं की अपसी जंग का अखाड़ा बनी हुई है, लेकिन कांग्रेस आलाकमान खामोश है। मुख्यमंत्री हुड्डा के खिलाफ कांग्रेस के कई दिग्गज मोर्चा खोलकर बैठे हैं, लेकिन कांग्रेस आलाकमान को हुड्डा से कोई शिकायत नहीं है। वो भी ऐसे वक्त पर जब आम चुनाव में अपने अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही कांग्रेस के लिए हरियाणा का विधानसभा चुनाव सबसे अहम है। वजह चाहे जो भी हो, लेकिन सियासी गलियारों में तो यही चर्चाएं हैं कि कहीं मुख्यमंत्री हुड्डा पर कांग्रेस आलाकमान की मेहरबानी की वजह सोनिया गांधी के दाबाद राबर्ट वाड्रा तो नहीं है।

deepaktiwari555@gmail.com

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