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बुधवार, 11 सितंबर 2013

नर कंकालों का सियासी सच !

सरकारी विज्ञापनों के जरिए करोड़ों रुपए खर्च कर उत्तराखंड सरकार भले ही उत्तराखंड में आई भीषण त्रासदी पर अपने गुड वर्क का प्रचार प्रसार कर खुद अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन इस त्रासदी के करीब ढाई महीने बाद अब केदारनाथ घाटी में मिल रहे कंकाल चीख चीख कर कह रहे हैं कि हमारी मौत की जिम्मेदार उत्तराखंड सरकार है।
चार दिनों में केदारनाथ, रामबाड़ा, त्रियुगी नारायण और भीमबलि की पहाड़ियों में मिले करीब 170 से ज्यादा कंकाल बयां कर रहे हैं कि कैसे वक्त पर मदद न मिल पाने के कारण भूख और प्यास से तड़प तड़प कर उन्होंने दम तोड़ दिया। आपदा के बाद सरकार अपनी पीठ थपथपाती रही कि हमने दुनिया के सबसे बड़े रेस्कयू ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है लेकिन आपदा के दौरान अपनी जान बचाने के लिए निर्जन पहाड़ियों की ओर भागे लोग सरकारी मदद का इंतजार करते रहे। उन्हें आस थी कि जमीन के रास्ते न सही लेकिन आसमान के रास्ते फरिश्ते के रुप में उनकी मदद के लिए कोई न कोई जरुर आएगा और उन्हें यहां से सुरक्षित निकाल ले जाएगा। उनका ये इंतजार उनकी सांसे थमने के साथ ही समाप्त हो गया लेकिन उन्हें बचाने के लिए कोई नहीं आया।  
पहाड़ियों में मिल रहे कंकाल सरकारी लापरवाही की दास्तां बयां करने लगे तो बेशर्मों की तरह सरकार ने इसका ठीकरा खराब मौसम के सिर फोड़ दिया। राज्य के मुख्य सचिव सुभाष कुमार कहते हैं कि हमने सभी लोगों को बचाने की पूरी कोशिश की थी लेकिन मौसम अनुकूल न होने की वजह से हम सब लोगों को नहीं बचा पाए। सरकार को आपदा प्रभावित क्षेत्रों को मानव रहित घोषित करने की जल्दी क्यों थी इसका जवाब सरकार के किसी नुमाइंदे पास नहीं है।
आपदा के बाद सरकार ने अगर तत्परता से आपदा प्रभावित क्षेत्रों की पहाडियों में रेस्कयू ऑपरेशन शुरु किया होता तो शायद आज ये पहाड़ियां कंकाल नहीं उगल रही होती लेकिन सरकार ने दुर्गम क्षेत्रों में लोगों को खोजने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाए, नतीजा कंकालों के मिलने के साथ ही आपदा में मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
आपदा के बाद से ही सरकार पर निशाना साधने वाली भाजपा ने सरकार को असंवेदहीन करार देते हुए सैंकड़ों लोगों की मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट कहते हैं कि हमने सरकार को पहले ही अगाह किया था कि केदारनाथ और रामबाड़ा की पहाडियों पर हजारों लोग फंसे हो सकते हैं लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।  

बहरहाल केदारनाथ, रामबाड़ा के साथ ही गोमकरा और दूंजागिरी क्षेत्रों में डीआईजी जी एस मर्तोलिया के नेतृत्व में पुलिस टीम का सर्चिंग अभियान जारी है, जो दिन बीतने के साथ ही इन क्षेत्रों से और कंकालों की बरामदगी के साथ आपदा में मौत का आंकड़ा और बढ़ने की ओर ईशारा कर रहा है और आज भी अपनों के घर लौट आने की आस लगाए बैठे लोगों की उम्मीद तोड़ने के लिए काफी है।  

deepaktiwari555@gmail.com

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