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रविवार, 21 अप्रैल 2013

मोदी से बेहतर सुषमा..!


एनडीए से प्रधानमंत्री के संभावित उम्मीदवार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जितनी तेजी से राष्ट्रीय पटल पर उभरे उतनी ही तेजी से मोदी के विरोधियों की संख्या भी बढ़ी है। एनडीए के अहम घटक जदयू के साथ ही भाजपा में ही मोदी विरोधियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जो 2014 में मोदी के पीएम बनने के सपने को चकनाचूर भी कर सकता है..! ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या भाजपा के पास पीएम की उम्मीदवारी के लिए मोदी से बेहतर विकल्प नहीं है या फिर मोदी के बढ़ते कद के आगे राष्ट्रीय राजनीति में सालों से सक्रिय भाजपा के दूसरे नेताओं को कद बौना प्रतीत हो रहा है..!
जाहिर है भाजपा में ऐसे नेताओं की जमात काफी लंबी है जो राष्ट्रीय राजनीति में मोदी से बड़ा कद रखते हैं..! पीएम की उम्मीदवारी को लेकर एनडीए के घटक दलों के साथ ही भाजपा में मोदी के बढ़ते विरोध के बाद पीएम की उम्मीदवारी को लेकर सुषमा स्वराज का नाम तेजी से उठने लगा है..! लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या सुषमा स्वराज के नाम को एनडीए के घटक दलों के साथ ही भाजपा में सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया जाएगा..? इसमें कोई दो राय नहीं 25 सालों से राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय सुषमा स्वराज को एक प्रखर नेता के साथ ही बेहतरीन वक्ता के रूप में जाना जाता है। सुषमा हमेशा से ही एक निर्विवाद नेता रही हैं...ऐसे में सुषमा को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाता है तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सुषमा के नाम पर भाजपा के साथ ही एनडीए में सर्वसम्मति बनने के संभावना मोदी के अपेक्षा ज्यादा प्रबल होगी। लाल कृष्ण आडवाणी की पसंदीदा नेता होने का फायदा भी सुषमा स्वराज को मिल सकता है जबकि मोदी के केस में ऐसा नहीं है..! (जरूर पढ़ें- खुश तो बहुत होंगे आडवाणी आज..!)
नरेन्द्र मोदी भी निश्चित तौर पर एक बेहतरीन वक्ता हैं और उनकी भाषण शैली के कायल लोगों की कमी नहीं है लेकिन हिंदुओं के पुरोधा होने का ठप्पा नरेन्द्र मोदी के सांप्रदायिक नेता होने की छवि से बाहर नहीं निकाल पा रहा है और शायद यही नरेन्द्र मोदी और पीएम की कुर्सी के बीच में सबसे बड़ा रोड़ा है..! एनडीए से गठबंधन तोड़ने की धमकी देने वाली जद यू नेता भी मोदी को सांप्रदायिक बताते हुए पीएम पद के लिए मोदी की उम्मीदवारी के खिलाफ विरोध का झंडा लेकर खड़े हैं..! (जरूर पढ़ें- मोदी के खिलाफ क्यों हैं नीतीश..?)
ऐसे में इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि आगामी आम चुनाव में सांप्रदायिक होने का दंश झेल रहे मोदी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है..!
ऐसी स्थिति में मोदी के बाद भाजपा में पीएम की उम्मीदवारी की सबसे प्रबल नेता सुषमा स्वराज का नाम आगे आता है तो निर्विवाद छवि की नेता होने के साथ ही महिला होने के नाते सुषमा स्वराज की दावेदारी को कमजोर तौर पर आंककर नहीं देखा जा सकता। ऐसे में सवाल ये है कि क्या सुषमा स्वराज पीएम की कुर्सी के लिए मोदी से बेहतर उम्मीदवार हो सकती हैं..?
जाहिर है सुषमा की निर्विवाद नेता की छवि के साथ ही सुषमा की आक्रमक और लाजवाब भाषण शैली के कायल लोगों की कमी नहीं है और सबसे बड़ी बात ये कि सुषमा पर मोदी के तरह सांप्रदायिक नेता होने का आरोप कभी भी नहीं लगा हैजो सुषमा को हर वर्ग के मतदाताओं में मोदी की अपेक्षा स्वीकार्य बना सकता है..! लेकिन इसके बाद भी भाजपा में प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी के तौर पर सुषमा की अपेक्षा मोदी को अहमियत दी जा रही है और सुषमा को कहीं न कहीं नजरअंदाज किया जा रहा है जो इस ओर साफ ईशारा कर रहा है कि भाजपा एक बार फिर से हिंदुत्व के सहारे केन्द्र की सत्ता में वापसी करने का मन बना चुकी है और भाजपा को लगता है कि नरेन्द्र मोदी की हिंदुओं के पुरोधा की छवि ही उसकी नैया पार लगा सकती है...फिर चाहे इसकी कीमत उसे एनडीए के कुनबे के बिखरने के रूप में ही क्यों न चुकानी पड़े..! लेकिन भाजपा शायद इस बात को भूल रही है कि उसका ये कदम उसे एक वर्ग के करीब लाकर उसके वोट तो दिलवा सकता है लेकिन पार्टी को दूसरे वर्ग की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है..! (जरूर पढ़ें- अगला पीएम कौनराहुल, मोदी या..?)
राजनीति में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता..? विरोध के बाद भी भाजपा में आज मोदी की गूंज है...हो सकता है कल तस्वीर बदल जाए..! नितिन गडकरी का चैप्टर तो याद ही होगा आपको...दोबारा अध्यक्ष बनाने के लिए भाजपा के संविधान में तक संशोधन कर दिया गया लेकिन किसने सोचा था कि पार्टी के अगले अध्यक्ष राजनाथ सिंह होंगे..!

deepaktiwari555@gmail.com

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