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सोमवार, 17 दिसंबर 2012

शीला जी दिल्ली में भूख से क्यों होती है मौत ?


दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित कहती हैं कि 5 लोगों का परिवार 600 रूपए महीने में पेट आसानी से भर जाता है...यानि की शीला जी के अनुसार सिर्फ 4 रूपए में एक व्यक्ति का पेट भर जाता है। ये बयान उस शीला दीक्षित का है जिनके राज में दिल्ली में हर हफ्ते एक व्यक्ति भूख की वजह से दम तोड़ देता है। दिल्ली में कांग्रेस सरकार के 14 साल के कार्यकाल में 737 लोगों की मौत की वजह भूख और गरीबी रही। ये जानकारी एक आरटीआई के जवाब में दिल्ली पुलिस मुख्यालय ने ही दी है। लेकिन शीला जी कहती हैं कि 4 रूपए में एक आदमी आसानी से दाल रोटी खा सकता है...अगर शीला जी ऐसा होता तो आपकी दिल्ली में कम से कम भूख से तो कोई मौत नहीं होनी चाहिए। आपकी दिल्ली में ही क्यों भारत में भूख से कोई मौत नहीं होनी चाहिए जहां विश्व के करीब 95 करोड़ भूखे लोगों में से करीब 45 करोड़ भारत में ही हैं। क्योंकि 4 रूपए का जुगाड़ तो आदमी मेहनत, मजदूरी करके या फिर भीख मांग कर भी कर लेता है...लेकिन इसके बाद भी भारत में रोज हजारों लोगों की मौत की वजह सिर्फ भूख है। अब शीला दीक्षित ने ये गणित कैसे बैठाया ये तो वही जानें लेकिन शीला के इस बयान ने एक बार फिर से जाहिर कर दिया है कि वाकई में गरीबों के हित की बात करने वाले राजनेताओं की सोच में कितना फर्क है। ये वही राजनेता हैं जो विधानसभा और संसद में उन्हें मिल रहे वेतन भत्ते को बढ़ाने को नाकाफी बताते हुए उसे समय समय पर बढ़ाने की मांग को लेकर खूब हो हल्ला मचाते हैं लेकिन एक 5 लोगों के गरीब परिवार की एक महीने की रोजी रोटी के लिए इन्हें 600 रूपए काफी लगते हैं। ये राजनेता जिन गाड़ियों में चलते हैं उसका एवरेज प्रति किलोमीटर लगभग 5 से 6 का होता है...यानि कि एक किलोमीटर चलने में ये लोग 40 से 50 रूपए खर्च कर देते हैं...दिन के और महीने के इनके और इनके परिवार के खाने का खर्चा की तो बात ही क्या। ये हिंदुस्तान है यहां कुछ भी हो सकता है यहां योजना आयोग भोजन पर शहर में 32 रूपए रोज और गावों में 26 रूपए रोज खर्च करने वालों को गरीब नहीं मानता लेकिन योजना आयोग के दफ्तर में 35 लाख रूपए टॉयलेट बनाने पर खर्च कर देता है...अब दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने 600 रूपए महीने अगर 5 लोगों के परिवार की महीने भर की दाल रोटी के लिए पर्याप्त बता दिया तो कल कोई और अपने अनोखे बयान से गरीबों को उपहास उड़ाएगा...क्या फर्क पड़ता है ? फर्क तो उस दिन पड़ेगा जिस दिन ये गरीब अपने वोट की ताकत को पहचानेंगे और अपने वोट से ऐसे नेताओं को सबक सिखाएंगे।

deepaktiwari555@gmail.com

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