कुल पेज दृश्य

बुधवार, 6 जून 2012

टॉयलेट में 35 लाख !


टॉयलेट में 35 लाख !

हिंदुस्तान में दो भारत बसते हैं इसका एहसास एक बार फिर से हो गया...जब आरटीआई एक्टिविस्ट सुभाष कुमार अग्रवाल की आरटीआई ने योजना आयोग का बड़ा खुलासा कर दिया। आरटीआई में जानकारी भी ऐसी सामने आयी...जिस पर यकीन करना मुश्किल था...लेकिन ये जानकारी खुद योजना आयोग से आयी थी...तो फिर कैसे भरोसा नहीं होता। मामला दरअसल ये है कि योजना आयोग ने दिल्ली स्थित मुख्यालय योजना भवन में दो टॉयलेट पर 35 लाख रूपये खर्च कर डाले...जिसमें से 5 लाख 19 हजार रूपये दोनों टॉयलेट में एक्सेस कंट्रोल सिस्टम लगवाने में खर्च कर दिए गए। इसके लिए बकायदा योजना आयोग के 60 अफसरों को एक्सेस कार्ड भी जारी कर दिए...ताकि इन अफसरों के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति टॉयलेट का इस्तेमाल न कर सके। एक्सेस कार्ड ने 1947 के पहले की वो याद ताजा कर दी...जब अधिकतर चीजों को यहां तक की पक्की सड़क को भी सिर्फ गोरे ही इस्तेमाल करते थे...और भारतीयों को उन चीजों के इस्तेमाल की इजाज़त नहीं थी...यानि एक बार फिर से ऐसा लगने लगा कि वे दिन वापस आ गए हैं...बस फर्क इतना है कि तब राज करने वाले गोरे थे...अब अपने ही लोग हैं। बहरहाल हम बात कर रहे थे 35 लाख के टॉयलेट की...ज्यादा दिन नहीं हुए हैं जब प्रधानमंत्री ने देश के वर्तमान आर्थिक हालात का हवाला देते हुए खर्चों में कमी करने की बात कही थी...औऱ अधिकारियों को भी ऐसी ही हिदायत दी थी। ऐसे समय में योजना आयोग का ये कारनामा अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। हैरत की बात तो ये भी है कि आरटीआई में मिली जानकारी कहती है कि आयोग के तीन और टॉयलेटों को इसी तर्ज पर अपग्रेड किया जाना है...यानि कि अभी इसी तरह टॉयलेट पर लाखों रूपए और खर्च किए जाने हैं। योजना आयोग का ये कारनामा ये बताने के लिए काफी है कि आखिर शुरूआत में...मैं क्यों हिंदुस्तान में दो भारत बसने की बात कर रहा था...एक भारत वो है जहां पर गरीब और पिछड़े लोग रहते हैं...जिनके पास शौचालय तो बहुत दूर की बात है...रहने को छत तक नहीं है...और एक भारत है...नहीं नहीं भारत नहीं...एक इंडिया है...जहां पर योजना आयोग के जैसे अधिकारी 35 लाख रूपए का टॉयलेट इस्तेमाल करते हैं। ऐसा नहीं है कि योजना आयोग पहली बार ऐसी किसी घटना के चलते चर्चा में आया हो...इससे पहले भी रोजाना 28 रूपए से ज्यादा खर्च कने वाले को गरीब न मानने वाले आयोग की अनोखी रिपोर्ट गरीबों का उपहास उड़ाती दिखी थी। बीते साल मई से अक्टूबर के बीच योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया का विदेश दौरा भी ऐसी ही कुछ कहानी बयां कर रहा था...जब आरटीआई से मिली जानकारी से पता चला कि विदेश दौरे पर अहलूवालिया का एक दिन का खर्च 2 लाख रूपए से भी ज्यादा था। बहरहाल बात 35 लाख के टॉयलेट की हो रही है...ऐसे में इस पर अहलूवालिया साहब का कहना है कि हमारे देश में ज्यादातर सरकारी इमारतों के साथ ही वहां के टॉयलेट की हालत बहुत खराब है...और योजना आयोग का टॉयलेट बेहतर हो रहा है तो इसमें हर्ज ही क्या है...वे ये भी कहते हैं कि आयोग के दफ्तर में वीवीआईपी के साथ ही विदेशी प्रतिनिधि भी आते हैं...इसलिए भी टॉयलेट पर इतना पैसा खर्च किया गया है। इनकी दलीलें मुझे तो समझ के परे लगती हैं...लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि काश ये पैसा जरूरतमंदों पर खर्च हुआ होता तो औऱ कुछ नहीं तो कम से कम लाखों लोगों को खासकर महिलाओं को खुले में शौच के लिए नहीं जाना पड़ता।













दीपक तिवारी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें