नितिन गडकरी जब तीन साल पहले भाजपा
के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के रूप में ताजपोशी हुई थी तो हर कोई हैरान था। अध्यक्ष
बनने से पहले राष्ट्रीय राजनीति के नए नवेले चेहरे गडकरी को कुर्सी मिली तो भाजपा
ही नहीं बल्कि गैर भाजपाई दलों के नेताओं के साथ ही आम लोगों के लिए भी गडकरी
उत्सुक्ता का विषय बन गए थे। भाजपा में बड़े बड़े दिग्गज़ों की जगह गडकरी को जब
कुर्सी मिली थी तो इतना तो साफ हो ही गया था कि गड़करी भाजपा के शीर्ष नेताओं की
नहीं बल्कि संघ की पसंद थे…और संघ की पसंद होने के नाते गडकरी
की ताजपोशी के विरोध करने की हिम्मत भी दूसरे भाजपाई नहीं उठा सके थे। भाजपा के
राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी को दिसंबर 2012 में तीन साल पूरे हो जाएंगे…और भाजपा के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल तीन
साल का होता है…साथ ही भाजपा का संविधान भी कहता है
कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर एक ही व्यक्ति की ताजपोशी दो बार लगातार नहीं हो सकती…लेकिन नितिन गड़करी इसके बाद भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने
रहेंगे। जी हां 24 मई को मुंबई में भाजपा की राष्ट्रीय
कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा ने अपने संविधान में इस संबंध में संशोधन कर दिया
है जिससे एक ही व्यक्ति के दो बार लगातार राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर ताजपोशी का
रास्ता साफ हो गया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा के पूर्व
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने संविधान में संशोधन का प्रस्ताव रखा…जिसका अनुमोदन पूर्व अध्यक्ष वैंकेयानायडू ने किया…जिसे कार्यकारिणी ने हरी झंडी दे दी है…लेकिन अभी इस पर भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की मुहर लगनी बाकी है।
दरअसल संघ 2014 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी
अध्यक्ष बदलने के मूड में नहीं था…जिसके चलते ही नौ महीने बाद हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की
बैठक में सबसे पहले गड़करी को लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बनाने के लिए पार्टी के
संविधान में संशोधन किया गया। खबर तो यहां तक है कि अनुशासित पार्टी होने का दावा
करने वाली भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संविधान में संशोधन को लेकर
विरोध के स्वर भी उठे। भाजपा नेता संघप्रिय गौतम और जेके जैन ने प्रस्ताव पर चर्चा
कराने की भी मांग की…लेकिन इनकी बात को दरकिनार कर
कार्यकारिणी ने प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी…जिसका मतलब साफ है कि दिसंबर 2012 में गड़करी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद दोबारा से उनकी ताजपोशी
तय हो गयी है। गड़करी की दूसरी पारी का मतलब साफ है कि भाजपा 2014 का लोकसभा चुनाव गड़करी की अगुवाई में ही लड़ेगी…लेकिन देखने वाली बात ये होगी कि क्या 2014 के लोकसभा चुनाव में गड़करी अपना कमाल दिखाकर भाजपा को केन्द्र की
सत्ता में वापस लौटाने में कामयाब हो पाएंगे या नहीं।
दीपक तिवारी
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