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सोमवार, 30 मई 2011

ये तो लोकतंत्र है


ये तो लोकतंत्र है....

.......दुनियाभर में समय समय पर ऐसे कई प्रयोग हुए जिसने विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र भारत की राजनीति औऱ अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला....लेकिन जब बात मई के आखिरी सप्ताह से जून के पहले सप्ताह के बीच की हो रही है तो हाल ही में पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों को नहीं नकारा जा सकता है। दोनों ही राज्यों में दबी – कुचली व उपेक्षित माने जाने वाली नारी ने एक बार फिर से अपनी शक्ति का एहसास करा दिया....औऱ अपनी विजयी पताका फहराते हुए राजनीति हल्कों में खलबली मचा दी।पश्चिम बंगाल में जहां 34 सालों से कायम वामपंथी सरकार को जनता ने नकार दिया...वहीं ऐसा ही कुछ तमिलनाडु में भी घटा औऱ करुणानिधी सरकार को भी जनता ने आइना दिखा दिया। पश्चिम बंगाल औऱ तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों में जीतने वाली दोनों पार्टियों तृणमूल कांग्रेस औऱ अन्ना द्रमुक की कमान महिला के हाथ में थी.....औऱ जनता ने पुरूष की बजाए महिला नेतृत्व पर अपनी मुहर लगायी...जिसके बाद देश में दिल्ली में शीला दीक्षित औऱ उत्तर प्रदेश में मायावती के बाद चार महिला मुख्यमंत्री हो गयी हैं.....जो देश में कम से कम महिलाओं के लिहाज से एक सूकून देने वाली खबर है....औऱ इससे निश्चित ही महिलाओं में नयी ऊर्जा का संचार भी हुआ है।
.....20 साल पहले 21 मई 1991 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या भी भारतीय राजनीति के लिए किसी बडे झटके से कम नहीं थी....युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद हर कोई सकते में था.....औऱ कांग्रेस के लिए यह किसी भयंकर आघात की तरह था....खासतौर पर सोनिया गांधी के लिए.....लेकिन राजीव की हत्या के बाद देर से ही सही सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली और दूसरी राजनीतिक पार्टियों के हमलों को झेलने के बाद भी एक बार फिर से कांग्रेस को स्थयित्व प्रदान किया.....औऱ साबित कर दिया कि महिला की ताकत क्या होती है।
.....और यही काम पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने वामपंथी सरकार को परास्त करके दिखा दिया। जिसके बाद ममता ने पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया वहीं वह देश में 14वीं महिला मुख्यमंत्री भी बनीं.....वहीं दूसरी तरफ जयललिता ने दूसरी बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
.....सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन के जरिए जनता में अपनी पैठ बना लेने वाली ममता बनर्जी की सादगी औऱ मेहनत का ही नतीजा था कि जनता ने वाममोर्चा को नकारते हुए ममता की तृणमूल कांग्रेस पर अपना भरोसा जताया....औऱ भारी बहुमत से विजयी बनाया.....ममता ने भी वाममोर्चा सरकार को उखाड फेंकने के बाद 20 मई को शपथ लेने के तुरंत बाद सिंगूर के किसानों को 400 एकड जमीन वापस लौटाने की बात कही...जिसे वाममोर्चा सरकार ने अधिग्रहित कर लिया था.....साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए उसी टाटा समूह को पश्चिम बंगाल में निवेश करने के लिए आमंत्रित भी किया....जिसको जमीन आवंटित करने के खिलाफ ममता ने किसानों के साथ मिलकर विरोध का झंडा बुलंद किया था।
....वहीं दूसरी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाली जयललिता ने भी भ्रष्टाचार के समुद्र में गोते लगा रही द्रमुक सरकार के खिलाफ जनता का विश्वास जीतने में सफल रही।
.....पश्चिम बंगाल औऱ तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद निश्चित तौर पर भारत ही नहीं दुनियाभऱ की उन राजनीतिक पार्टियों व राजनेता....जो सत्ता को सिर्फ ऐशो आराम का साधन समझते हैं....उनमें यह संदेश गया कि लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र से बडी कोई ताकत नहीं है....और समय आने पर जनता लोकतंत्र के माध्यम से रही उनको जवाब भी देने में सक्षम भी है।
....पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु में जनता ने महिला नेतृत्व पर भरोसा दिखाकर राजनीति को अपनी बपौती समझने वाले राजनेताओं को करारा जवाब भी दिया है....ऐसा नहीं है कि महिलाओं ने इसे साबित नहीं किया है.....1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस की कमान संभालने वाली यूपीए अध्यक्ष  सोनिया गांधी हों.....लगातार दो बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी शीला दीक्षित हो या फिर उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर सत्ता संबालने वाली मायावती...ये सब बखूबी अपने काम को अंजाम दे रही हैं.....औऱ इसी कडी को आगे बढाया है पश्चिम बंगाल में ममता व तमिलनाडू में जयललिता ने।
.....जब बात लोकतंत्र के वैकल्पिक मॉडल की हो रही है तो....हिंदुस्तान की बाहर की बात न कर अंदर की ही बात करें तो ये वाक्ये ....भारत ही नहीं दुनिया की राजनीति के लिए एक बडा सबक है.....औऱ निश्चित तौर पर दबी – कुचली व अबला समझी जाने वाली महिला के लिए किसी संजीवनी के कम नहीं है.....बस जरूरत है इस भरोसे को कायम रखने की।

दीपक तिवारी
09971766033
deepaktiwari555@gmail.com

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